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सत्र 2019-20 में समिति ने सर्वप्रथम अपने परिवार में नए सदस्यों को शामिल करने और उन्हें भी कुशल वाद-विवाद का हुनर सिखाने की आशा से ऑडिशन का आयोजन किया, जिसका विषय था: “आज़ादी के 70 साल: कितने आज़ाद हम” जिसमें 58 विद्यार्थियों ने भाग लिया लेकिन तर्कशक्ति एवं अपनी बात को रख पाने जैसे मानदंडों के अनुसार 22 विद्यार्थियों को वेदांता के लिए चुना गया।

परम्परा का अनुसरण करते हुए पहले ऑडिशन के पश्चात पदाधिकारियों के चयन के लिए समिति के संयोजक डॉ.अमित सिंह द्वारा सभी इच्छुक सदस्यों का इंटरव्यू लिया गया जिसमें उन्होंने विभिन्न मापदंडों को आधार बनाकर समिति के 16 पदाधिकारियों को चुना जिसमें अध्यक्ष पद हरीश चौधरी एवं सचिव पद रीमा शर्मा को दिया गया। इनके अलावा 4 उपाध्यक्ष, 2 कोषाध्यक्ष, 4 सह-सचिव चुने गए। जनवरी में पुनः ऑडिशन कराए गए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी को भागीदारी का समान अवसर दिया गया है। इसमें 9 अन्य सदस्यों को चुना गया।

वेदांता ने विश्वविद्यालय स्तर पर दो पारंपरिक वाद-विवाद प्रतियोगिताओं का आयोजन किया। पहली प्रतियोगिता 14 नवंबर 2019 के आयोजित की गई जिसका विषय था “सदन का मत है कि आधुनिक भारत के निर्माण में पं. जवाहरलाल नेहरू की भूमिका महत्वपूर्ण है” इनमें दिल्ली विश्वविद्यालय सहित दिल्ली के आस पास के कुछ और विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों के 50 विद्यार्थियों ने सहभागिता की। डॉ. अंशु जोशी, सहायक प्रोफेसर, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय एवं डॉ. ओमप्रकाश दहिया, सहायक प्रोफेसर, दिल्ली विश्वविद्यालय ने निर्णायकों की भूमिका निभाई।

दूसरी प्रतियोगिता महाविद्यालय के वार्षिक उत्सव “टाइड-2020” के दौरान 27 फरवरी को आयोजित की गई जिसका विषय रहा: “सदन का मत है कि आगामी युद्ध जैविक हथियारों से ही लड़े जाएंगे”, इनमें क़रीब 40 विद्यार्थियों ने विषय के पक्ष एवं विपक्ष में अपने मत प्रकट किए। डॉ. रोजी सिन्हा, डॉ. अनिता सिंह, डॉ. इंद्रजीत झा और डॉ. रूबी देवी ने निर्णायकों की भूमिका बख़ूबी अदा की।

कार्यक्रमों के आयोजनों के अतिरिक्त समिति ने दिल्ली विश्वविद्यालय के विभिन्न महाविद्यालयों में आयोजित वाद-विवाद प्रतियोगिता में महाविद्यालय का प्रतिनिधित्व करते हुए कई पुरूस्कार प्राप्त किये। वाद-विवाद प्रतियोगिता के विभिन्न प्रारूपों में समिति ने कुल 75 (आनंद मिश्रा-22 और मोहित सिंह-21) पुरूस्कार प्राप्त किए। इस प्रकार सत्र 2019-20 समिति के लिये बहुत ही लाभकारी एवं प्रभावशाली सत्र रहा क्योंकि समिति ने पुरस्कार अर्जित करने में नए कीर्तिमान को स्थापित किया। इसी कड़ी में वेदांता ने अपने पहले वार्षिकोत्सव “वेदांगम-2020”, मार्च 27-28 की भी तैयारियाँ कर लीं थीं लेकिन COVID-19 महामारी के चलते नहीं हो पाया। वेदांता आने वाले सत्र में अपने अच्छे प्रदर्शन “और वेदांगम” के लिए बेहद कटिबद्ध है।

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